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मुद्रास्फीति विस्तृत नोट्स, करेंट अफेयर्स, पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्न, प्रैक्टिस प्रश्न

मुद्रास्फीति किसी अर्थव्यवस्था के त्रिक (Trinity) में से एक है (इसके अन्य तत्व 'विनिमय दर' और 'वृद्धि दर' है)

मुद्रास्फीति (Inflation):

कीमतों के सामान्य स्तर में बढ़ोतरी/ कीमतों के सामान्य स्तर में सतत वृद्धि को मुद्रास्फीति कहा जाता है। (महंगाई)

मुद्रा अवस्फीति (Deflation) तथा अपस्फीति

मूल्य स्तरों में आने वाली साधारण गिरावट को अर्थव्यवस्था में दो शब्दों के माध्यम से सूचित किया जाता है - अवस्फीति तथा अपस्फीति।

व्यवहार में केवल मुद्रास्फीति शब्द का ही उपयोग किया जाता है, अगर महंगाई बढ़ी तो मुद्रास्फीति बढ़ी और अगर महंगाई घटी तो मुद्रास्फीति घटी।

मुद्रास्फीति के मापक :

"मुद्रास्फीति दर" को मूल्य सूचकांक के आधार पर मापा जाता है, जो दो प्रकार के होते हैं - थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index -CPI)।

मुद्रास्फीति दर :

मुद्रास्फीति दर सामान्य मूल्य स्तर में परिवर्तन की दर होती है, जिसकी माप होगी :

मुद्रास्फीति कारक/ मुद्रास्फीति क्यों होती है:

  1. मांग जनित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation) :
    • मांग व आपूर्ति में असंतुलन से उत्पन्न, अर्थात या तो मांग आपूर्ति के स्तर से अधिक हो जाता है या फिर आपूर्ति मांग से कम हो जाती है और इस वजह से महंगाई बढ़ती है।
  2. लागत जनित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation) :
    • कारकों की लागत (जैसे मजदूरी, कच्चा माल) में बढ़ोतरी की वजह से चीजों के दाम बढ़ते हैं।

मुद्रास्फीति नियंत्रण के उपाय :

  1. मांग पक्ष उपाय :
    • मौद्रिक नीति (Monetary Policy): केंद्रीय बैंक (जैसे RBI) द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाना, नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) को बढ़ाना ताकि मांग को नियंत्रित किया जा सके।
    • राजकोषीय नीति (Fiscal Policy): सरकार द्वारा करों में वृद्धि करना, सार्वजनिक व्यय को कम करना ताकि कुल मांग को नियंत्रित किया जा सके।
  2. आपूर्ति पक्ष उपाय :
    • उत्पादन बढ़ाना: आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाना, विशेष रूप से कृषि उत्पादों और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बढ़ाना।
    • आयात प्रोत्साहन: कमी वाली वस्तुओं के आयात को प्रोत्साहित करना ताकि बाजार में उनकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके।
    • लॉजिस्टिक्स सुधार: परिवहन, वितरण और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार लाना ताकि वस्तुएं समय पर और सस्ते में उपलब्ध हो सकें।
  3. लागत पक्ष उपाय :
    • वेतन और मजदूरी नियंत्रण: वेतन और मजदूरी की वृद्धि को नियंत्रित करना ताकि उत्पादन की लागत कम रहे।
    • कच्चे माल की कीमत नियंत्रण: आवश्यक कच्चे माल की कीमतों को स्थिर रखना, विशेष रूप से पेट्रोलियम और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री की कीमतों को नियंत्रित करना।
    • मुद्रा का मूल्य स्थिर रखना: रुपये के मूल्य को स्थिर रखना ताकि आयातित वस्तुओं की लागत में अप्रत्याशित वृद्धि न हो।

मुद्रास्फीति प्रकार

  1. अल्प मुद्रास्फीति (Low Inflation) :
    • ऐसी मुद्रास्फीति धीमी एवं आशानुरूप होती है, जिसे लघु व क्रमिक कहा जा सकता है।
    • अल्प मुद्रास्फीति लंबी अवधि के दौरान देखने को मिलती है और यह एक-अंकीय होती है।
    • ऐसी मुद्रास्फीति को सरकने वाली मुद्रास्फीति भी कहते हैं।
  2. सरपट मुद्रास्फीति (Galloping Inflation) :
    • यह अत्यंत उच्च मुद्रास्फीति है जो सामान्यतः दो या तीन अंकीय हो सकती है। (जैसे - 20%, 100%, 200% प्रतिवर्ष)।
    • समकालीन पत्रकारिता में इस मुद्रास्फीति को उछलती मुद्रास्फीति (Hoping Inflation), उछाल मुद्रास्फीति( Jumping Inflation) तथा दौड़ती मुद्रास्फीति (Run away/running Inflation) भी कहा गया है।
  3. अति मुद्रास्फीति (Hyperinflation) :
    • इस मुद्रास्फीति का रूप 'बड़ा और बढ़ता' हुआ है, जिसकी वार्षिक दर अरबों या खरबों में हो सकती है।
    • ये मुद्रास्फीति बहुत कम समय के अंदर हो जाती है तथा मूल्य रातों रात बढ़ जाते हैं।
    • उदाहरण WW 1 के बाद जर्मनी या 2019 में वेनेजुएला में मुद्रास्फीति 5.3 करोड़ थी।
    • इसमें लोग मुद्रा के दूसरे विकल्पों सोना, विदेशी मुद्रा (इन्हे इनफ्लेशन प्रूफ संपत्ति के तौर पर भी जाना जाता है) को अपनाना शुरू कर देते हैं।

    मुद्रास्फीति के अन्य भिन्न रूप

  4. गत्यारोध/मार्गावरोध मुद्रास्फीति (Bottleneck Inflation) :
    • ये मुद्रास्फीति तब होती है जब आपूर्ति में अचानक बहुत तेजी से गिरावट आ जाए, जबकि मांग अपने पुराने स्तर पर बरकरार रहे।
    • ऐसी स्थिति आपूर्ति पक्ष के अवरोधों, जोखिम या कुप्रबंधन की वजह से बनती है, जिसे 'स्ट्रक्चरल इन्फ्लेशन' के तौर पर भी जाना जाता है।
    • इसे 'मांग जनित' मुद्रास्फीति की श्रेणी में रखा जा सकता है।
  5. मर्म मुद्रास्फीति (Core Inflation) :
    • इसका ये नाम मुद्रास्फीति की गणना करते वक्त वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किए जाने या न किए जाने पर आधारित है।
    • पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में लोकप्रिय कोर मुद्रास्फीति ऊर्जा और खाने के सामानों को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं के दामों में बढ़ोतरी दिखाती है।
    • भारत में इस अवधारणा का सरकार द्वारा वर्ष 2000-01 में पहली बार उपयोग किया गया।
    • यह भारत की महंगाई को बेहतर ढंग से परिभाषित नहीं कर पाता क्योंकि यहां महंगाई को जड़ में साधारणतया ऊर्जा एवं खाद्य सामग्रियां ही रही हैं।
    • वर्ष 2015-16 से सरकार द्वारा इसके एक नए प्रारूप मर्म मर्म मुद्रास्फीति (Core -core inflation) का उपयोग प्रारंभ किया, जिसके अंतर्गत मुद्रास्फीति की माप खाद्य सामग्रियों, ईंधन एवं बिजली, परिवहन एवं संचार जैसी मदों को बाहर करके की जाती है।

भारत में मुद्रास्फीति

मुद्रास्फीति के प्रभाव

  1. खरीद शक्ति कम होना: आपके पास पहले जितनी चीजें खरीदने के लिए पैसे नहीं रह जाते।
  2. बचत का मूल्य कम होना: आपकी बचत की कीमत कम हो जाती है।
  3. निवेश पर नकारात्मक प्रभाव: निवेश करना जोखिम भरा हो जाता है।
  4. आर्थिक विकास में बाधा: मुद्रास्फीति अधिक होने पर अर्थव्यवस्था धीमी हो जाती है।

मुद्रास्फीति करेंट अफेयर्स

मुद्रास्फीति से जुड़ी महत्वपूर्ण शब्दावली

  1. हेडलाइन इन्फ्लेशन (Headline Inflation):
    • यह समग्र मुद्रास्फीति की दर है, जिसमें सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें शामिल होती हैं, जिनमें खाद्य और ऊर्जा भी शामिल हैं। यह मुद्रास्फीति का अधिक व्यापक मापदंड होता है और इसका उपयोग आमतौर पर आर्थिक नीति बनाने में किया जाता है
  2. मुद्रास्फीतिकारी अंतर (Inflation Gap) :
    • राष्ट्रीय आय के ऊपर होने वाले सरकारी खर्च के अतिरेक (अर्थात् राजकोषीय घाटा) को मुद्रास्फीतिकारी अंतर कहा जाता है। इसका आशय उत्पादन स्तर को बढ़ाना है, जो कि अंततः इस प्रक्रिया में मुद्रा की अतिरिक्त उत्पत्ति के कारण मूल्यों को बढ़ा देता है।
  3. मुद्रा अवस्फीतिकारी अंतर ( Deflationary Gap) :
    • राष्ट्रीय आय के ऊपर कुल सरकारी खर्च में कमी अर्थात् राजकोषीय अधिशेष से अर्थव्यवस्था में मुद्रा अवस्फीतिकारी अंतर आता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांग से अधिक उत्पादन होता है और अर्थव्यवस्था में मांग में एक सामान्य गिरावट आती है। इसे बाह्यगमन अंतर (Output Gap) के रूप में भी जाना जाता है।
  4. मुद्रास्फीति कर (Inflation Tax) :
    • मुद्रास्फीति से मुद्रा का अवमूल्यन होता है और इस प्रक्रिया में मुद्रा का उपयोग करने वालों की कठिनाई बढ़ती है। चूंकि सरकार का यह अधिकार होता है कि वह मुद्रा को छापे तथा इसका अर्थव्यवस्था में वितरण करे जैसा कि घाटे के बजट में होता है, यह क्रिया सरकार के लिए आय का साधन बनती है। इस स्थिति में लोगों की आय की कीमत पर सरकारी खर्च बढ़ता है। इसमें ऐसा प्रतीत होता है मानो मुद्रास्फीति कर के रूप में कार्य कर रही है। इसीलिए मुद्रास्फीति कर को सेनोरेज (Seigniorage) कहा जाता है
    • इसका अर्थ है कि मुद्रास्फीति के स्तर तक सरकार घाटे के बजट का रास्ता चुन सकती है- घाटे के बजट का स्तर सीधे-सीधे मुद्रास्फीति दर में परिलक्षित होता है।
  5. मुद्रास्फीति कुंडली (Inflation Spiral) :
    • एक ऐसी मुद्रास्फीतिकारी स्थिति, जो कि वेतन एवं मूल्य के बीच अंतः क्रियात्मक प्रक्रिया का परिणाम होती है और जिसमें वेतन मूल्यों को ऊपर बढ़ाता है तथा मूल्य भी बेतन को ऊपर खींचते हैं, मुद्रास्फीति कुंडली कहलाती है। इसे वेतन मूल्य कुंडली भी कहा जाता है।
  6. मुद्रास्फीति लेखा (Inflation Accounting) :
    • कॉरपोरेट मुनाफा लेखा के क्षेत्र में यह पद लोकप्रिय है। मूलतः फर्मों/कंपनियों के लाभ मुद्रास्फीति के कारण अतिरंजित हो जाते हैं। जब एक प्रतिष्ठान मुद्रास्फीति के चालू स्तर के प्रभावों के समायोजन के पश्चात् लाभ की गणना करता है, तब इसे मुद्रास्फीति लेखा कहते हैं।
  7. मुद्रास्फीति अधिमूल्य (Inflation Premium) :
    • मुद्रास्फीति द्वारा जो बोनस लेनदार तक पहुंचता है उसे मुद्रास्फीति अधिमूल्य कहते हैं। बैंकों द्वारा अपने ऋणों पर जो ब्याज लगाया जाता है, उसे नामिक (nominal) ब्याज दर कहते हैं, जो ऋण का वास्तविक मूल्य नहीं भी हो सकता है। वास्तविक मूल्य की गणना के लिए नामिक व्याज दर को मुद्रास्फीति प्रभावों के साथ समायोजित किया जाता है और इस प्रकार जो ब्याज दर प्राप्त होती है, वही वास्तविक ब्याज दर होती है। वास्तविक ब्याज दर नामिक व्याज से हमेशा कम होती है अगर मुद्रास्फीति की स्थिति जारी रहती है तो अंतर मुद्रास्फीति अधिमूल्य का होता है।
    • बढ़ता मुद्रास्फीति अधिमूल्य ऋणदाता के मुनाफे में गिरावट को दर्शाता है। कई बार मुद्रास्फीति अधिमूल्य के प्रभावों को उदासीन करने के लिए लेनदार नामिक (nominal) ब्याज दर को बढ़ाने का सहारा लेता है।
  8. फिलिप्स वक्र (Phillips Curve) :
    • यह एक ग्राफिक वक्र है जो कि मुद्रास्फीति तथा बेरोजगारी के संबंधों को दर्शाता है।
    • वक्र यह दर्शाता है कि अगर मुद्रास्फीति कम रहती है तो बेरोजगारी बढ़ती है, जबकि मुद्रास्फीति बढ़ती है तब बेरोजगारी कम रहती है।
    • ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुद्रास्फीति (महंगाई) कम होने पर कॉरपोरेट को कम फायदा मिलता है, ऐसे में वो कर्मचारियों की संख्या में कटौती करते है। इससे उत्पादन कम होता है और मार्केट में वस्तुओं की आपूर्ति कम होकर फिर से महंगाई बढ़ने लगती है, कॉरपोरेट कर्मचारियों की संख्या पुनः बढ़ते हैं और फिर से मुद्रास्फीति बढ़ने के साथ बेरोजगारी कम होती है। (यही है फिलिप्स वक्र)।
  9. प्रतिसारजन्य मुद्रास्फीति (Reflation) :
    • प्रतिसारजन्य मुद्रास्फीति की स्थिति सरकार द्वारा बेरोजगारी घटाने तथा मांग बढ़ाने के लिए जानबूझकर लायी जाति है, जिससे कि आर्थिक वृद्धि की उच्चतर दर प्राप्त के जा सके। सरकारें इसके लिए अपने व्यय को बढ़ाकर कर कटौती करके एवं ब्याज दर कटौती आदि का सहार लेती हैं। राजकोषीय घाटा बढ़ता है। उच्च स्तर की पर अतिरिक्त मुद्रा मुद्रित की जाती है, वेतन बढ़‌ता है तथा बेरोजगारी की स्थिति में लगभग कोई सुधार नहीं होता।
    • प्रतिसारजन्य मुद्रास्फीति को एक भिन्न दृष्टिकोण में की भी समझा जा सकता है जब अर्थव्यवस्था मंदी चक्र (निम्न मुद्रास्फीति, अधिक बेरोजगारी, अल्प मांग आदि) से गुजर रही होती है तथा सरकार मंदी से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए आर्थिक नीतिगत निर्णय लेती है, और कुछ वस्तुओं के मूल्य में अचानक तथा अस्थायी वृद्धि होती है तो इसे प्रतिसारजन्य मुद्रास्फीति कहते हैं।
  10. स्थगनजन्य मुद्रास्फीति (Stagflation) :
    • अर्थव्यवस्था की वह स्थिति जबकि मुद्रास्फीति तथा बेरोजगारी दोनों उच्च स्तर पर होते हैं, स्थगनजन्य मुद्रास्फीति कहलाती है।
  11. कंट्रोल्ड इन्फ्लेशन (Controlled Inflation):
    • ऐसी स्थिति जब सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम सफल होते हैं और मुद्रास्फीति एक स्थिर दर पर बनी रहती है। इस प्रकार की मुद्रास्फीति को अर्थव्यवस्था के विकास और स्थिरता के लिए लाभकारी माना जाता है।

upsc पिछले वर्षो में मुद्रास्फीति से पूछे गए प्रश्न

भारत में मुद्रास्फीति के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2015)

  1. भारत में मुद्रास्फीति के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
  2. मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में भारतीय रिजर्व बैंक की कोई भूमिका नहीं है
  3. घटा हुआ मुद्रा परिचलन (मनी सर्कुलेशन), मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायता करता है
  4. बढ़ा हुआ मुद्रा परिचलन, मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायता करता है

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (2013)

  • मुद्रास्फीति ऋणियों को लाभ पहुँचाती है।
  • मुद्रास्फीति बॉण्डधारकों को लाभ पहुँचाती है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2
  4. न तो 1 और न ही 2
    • हल: ऋणी वर्ग को लाभ तथा ऋणदाता वर्ग को हानि। क्योंकि महंगाई से रुपए की वैल्यू गिरती है तथा ऋणदाता को मिलने वाला ब्याज वास्तव में कम क्रयशक्ति वाला होता है (सामान्य स्थितियों की तुलना में)।

स्फीति दर में होने वाली तीव्र वृद्धि का आरोप कभी-कभी 'आधार प्रभाव' (Base Effect) पर लगाया जाता है। यह 'आधार प्रभाव' क्या है? (2011)

  1. यह फसलों के खराब होने से आपूर्ति में उत्पन्न उग्र अभाव का प्रभाव है
  2. यह तीव्र आर्थिक विकास के कारण तेजी से बढ़ रही माँग का प्रभाव है
  3. यह विगत वर्ष की कीमतों का स्फीति दर की गणना पर आया प्रभाव है
  4. इस सन्दर्भ में उपरोक्त '1', '2', '3' कथनों में से कोई भी सही नहीं है

आर्थिक विकास सामान्यतया युग्मित होता है (2011)

  1. अवस्फीति के साथ
  2. स्फीति के साथ
  3. स्टैगफ्लेशन के साथ
  4. अतिस्फीति के साथ
    • हल: मुद्रास्फीति से मुद्रा का वास्तविक मूल्य गिरता है जिससे निर्यात बढ़ता है।


UPSC प्रीलिम्स मुद्रास्फीति प्रैक्टिस प्रश्न

1. मुद्रास्फीति दर की गणना के लिए भारत में कौन-सी सूचकांक पद्धतियाँ उपयोग की जाती हैं?
A) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
B) थोक मूल्य सूचकांक (WPI)
C) GDP deflator
D) उपरोक्त सभी
उत्तर: D) उपरोक्त सभी
विवरण: मुद्रास्फीति दर की गणना के लिए CPI, WPI, और GDP deflator का उपयोग किया जाता है। CPI उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों को दर्शाता है, WPI निर्माताओं और थोक विक्रेताओं की कीमतों को दर्शाता है, और GDP deflator सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में मूल्य परिवर्तन को मापता है।
2. यदि RBI रेपो दर में वृद्धि करता है, तो इसका मुद्रास्फीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
A) मुद्रास्फीति बढ़ेगी
B) मुद्रास्फीति घटेगी
C) मुद्रास्फीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा
D) केवल दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा
उत्तर: B) मुद्रास्फीति घटेगी
विवरण: रेपो दर बढ़ने से बैंकों के लिए उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे मुद्रा आपूर्ति घटती है और मांग में कमी आती है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है।
3. भारत में "Cost-push Inflation" का एक प्रमुख कारण क्या हो सकता है?
A) वेतन में वृद्धि
B) कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि
C) प्रत्यक्ष करों में कमी
D) जनता के व्यय में वृद्धि
उत्तर: B) कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि
विवरण: Cost-push inflation तब होती है जब उत्पादन लागत बढ़ने के कारण वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। यह कच्चे माल, ऊर्जा, या मजदूरी में वृद्धि के कारण हो सकता है।
4. "Headline Inflation" और "Core Inflation" में क्या अंतर होता है?
A) हेडलाइन मुद्रास्फीति में खाद्य और ऊर्जा शामिल होते हैं, जबकि कोर मुद्रास्फीति में नहीं।
B) कोर मुद्रास्फीति में केवल खाद्य शामिल होता है।
C) हेडलाइन मुद्रास्फीति में केवल ईंधन शामिल होता है।
D) दोनों में कोई अंतर नहीं है।
उत्तर: A) हेडलाइन मुद्रास्फीति में खाद्य और ऊर्जा शामिल होते हैं, जबकि कोर मुद्रास्फीति में नहीं।
विवरण: हेडलाइन मुद्रास्फीति में सभी वस्त्र और सेवाएँ शामिल होती हैं, जबकि कोर मुद्रास्फीति में खाद्य और ऊर्जा की अत्यधिक अस्थिर कीमतों को शामिल नहीं किया जाता है।
5. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को आधार वर्ष के रूप में भारत में किस वर्ष से अपनाया गया है?
A) 2004-05
B) 2011-12
C) 2001-02
D) 2017-18
उत्तर: B) 2011-12
विवरण: वर्तमान में, भारत में WPI का आधार वर्ष 2011-12 है, जो कि 2017 में लागू हुआ था। इससे पहले यह 2004-05 था।
6. भारत में "Stagflation" की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
B) उच्च मुद्रास्फीति और निम्न आर्थिक विकास दर
C) निम्न मुद्रास्फीति और उच्च आर्थिक विकास दर
D) निम्न मुद्रास्फीति और निम्न आर्थिक विकास दर
उत्तर: B) उच्च मुद्रास्फीति और निम्न आर्थिक विकास दर
विवरण: Stagflation की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक देश में मुद्रास्फीति की दर अधिक हो, लेकिन आर्थिक विकास दर कम हो, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है और आर्थिक स्थिति अस्थिर होती है।
7. भारत में "Phillips Curve" क्या दर्शाता है?
A) मुद्रा आपूर्ति और मांग के बीच का संबंध
B) सरकार की आय और व्यय के बीच का संबंध
C) मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के बीच का व्युत्क्रमानुपाती संबंध
D) GDP और मुद्रास्फीति के बीच का संबंध
उत्तर: C) मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के बीच का व्युत्क्रमानुपाती संबंध
विवरण: Phillips Curve दर्शाता है कि मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के बीच एक व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है, अर्थात् जब बेरोजगारी कम होती है, तो मुद्रास्फीति बढ़ती है और इसके विपरीत।
8. "Demand-pull Inflation" का कारण क्या है?
A) बाजार में अधिक मांग
B) उत्पादन लागत में वृद्धि
C) कच्चे माल की कमी
D) मजदूरी में वृद्धि
उत्तर: A) बाजार में अधिक मांग
विवरण: Demand-pull Inflation तब उत्पन्न होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।
9. भारत में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार कौन से उपकरणों का उपयोग करती है?
A) मौद्रिक नीति
B) राजकोषीय नीति
C) मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण
D) उपरोक्त सभी
उत्तर: D) उपरोक्त सभी
विवरण: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति, और मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण जैसे उपकरणों का उपयोग करती है।
10. भारत में मुद्रास्फीति को मापने के लिए मुख्यतः किस सूचकांक का उपयोग किया जाता है?
A) थोक मूल्य सूचकांक (WPI)
B) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
C) औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)
D) रोजगार सूचकांक
उत्तर: B) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
विवरण: भारत में वर्तमान में मुद्रास्फीति को मापने के लिए मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का उपयोग किया जाता है, जो उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को दर्शाता है।