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विषय की संपूर्ण तैयारी कैसे करें ?



यह ब्लॉग किसी विषय की मुख्य परीक्षा की दृष्टि से तैयारी करने से संबंधित है। यथा :-

विषय की छवि बनाना

विषय की छवि बनाना मतलब किसी भी विषय को एक बार ढंग से पढ़ना। उतना ढंग से पढ़ना की अगर आप पिछले वर्षों के प्रश्न पढ़े तो बता सके की कौनसा प्रश्न कहां से पूछा गया है।

पिछले प्रश्नों को पढ़ना

एक बार किसी विषय को अच्छे से पढ़ने के बाद उस विषय से पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को जरूर पढ़ लेना चाहिए क्योंकि इन्ही प्रश्नों से यूपीएससी वाली अप्रोच विकसित होती है की किसी टॉपिक को कवर करते वक्त क्या क्या पढ़ना है।

पिछले प्रश्नपत्रों का विश्लेषण

स्वयं का पाठ्यक्रम बनाना

यूपीएससी में 'अंडर दा सन' सब कुछ नहीं पूछा जाता है।

बेसिक नोट्स बनाना

आपने जो स्वयं का पाठ्यक्रम बनाया है, उन सभी टॉपिक्स पर बेसिक नोट्स बना लीजिए। बेसिक का मतलब है की उस टॉपिक की मूलभूत बातों को लिखों, जैसे अगर मरुस्थलीकरण पर बेसिक नोट्स बना रहे हो तो, सर्वप्रथम भारत सरकार, UN या सार्वभौमिक जो भी परिभाषा परचलित है उसे लिख लो, फिर मरुस्थलीकरण के दुष्प्रभाव और उपाय लिख लो, और अगर हो सके तो अभी तक क्या उपाय किए जा चुके हैं या सरकारी प्रयास भी लिख लो। बस बन गए बेसिक नोट्स। (और बेसिक नोट्स बनाते वक्त इस बात की चिंता मत करना की गुणवत्ता 100% हो)।

नोट्स की गुणवत्ता तय करना

तथ्यों को याद करना

आपने कितना पढ़ा या कितने बड़े बड़े नोट्स बनाए इसका कोई महत्त्व नही है जब तक कि वह परीक्षा के दिन याद न आए। इसलिए यह जरूरी है की आप तथ्यों को रट लेवें। फिर से रटे, बार बार रटे।

उत्तर लेखन के प्रयास करना

जब टॉपिक समझ लिया है और डाटा भी याद कर लिया है तो इंतजार किस चीज का, यहां तक कि चीजें समझने और रटने के साथ ही आंसर राइटिंग शुरू कर देनी है।

नोट्स को सामयिक से अद्यतन करना

लगभग सभी टॉपिक्स किसी न किसी मात्रा में कर्रेंट अफेयर से जुड़े हुए हैं। और upsc में पूछे जाने वाले प्रश्न भी अधिकतर करंट से ही होते हैं

शॉर्ट नोट्स बनाना

नोट्स उतने ही बड़े होने चाहिए जितने आप परीक्षा से पहले रिवाइज कर सको।



अन्य बातें :-

क्या किसी विषय को एक ही बार में पूर्ण तैयार कर लेना चाहिए?

नही, एक ही बार में तैयार करना मूर्खतापूर्ण और बहुत ही बोरिंग होगा। आप पहले कोई चार विषयों का प्रथम अध्ययन कीजिए, फिर किन्ही और विषयों का प्रथम अध्ययन शुरू कर दीजिए और साथ ही एक बार पढ़े हुए विषयों के पिछले वर्षों के प्रश्नों को पढ़ना शुरू कर दीजिए। और ऐसे ही सभी चरणों को अलग अलग समय में करते रहना है इस तरह से करना है की परीक्षा से पहले तक सभी विषयों की संपूर्ण तैयारी हो जाए। एक बार में पढ़ना, फिर पिछले वर्षों के प्रश्न देखना, फिर नोट्स बनाना, रटना और शॉर्ट नोट्स बनाना अपने आप में इस तरह से है की विषय की संपूर्ण तैयारी होने तक कम से कम 7-8 बार रिवीजन हो जाएगा।

किसी भी विषय के लास्ट के टॉपिक्स को पढ़ना बहुत बोरिंग लगता है

यह सबके साथ होता है। समय का सदुपयोग इसी में होगा की आप लास्ट के कुछ टॉपिक्स को केवल हेडिंग्स लिख कर और थोड़ा बहुत लिख कर छोड़ दें। कहने को लोग कहेंगे की हार्ड टॉपिक्स को पहले करो, लास्ट में सिंपल टॉपिक्स रको आदि आदि पर सच कहें तो ऐसा कुछ नही होता अगर आप हठ करके कवर करते भी हैं तो एक घंटे का टॉपिक पूरा दिन खा जाएगा फिर भी अच्छे से कवर नही होगा और टाइम टेबल खराब होगा वो अलग। बेहतर होगा की आप उन टॉपिक्स को रिवीजन के समय या किसी दूसरे चरण में जब आप उस विषय को हाथ में ले तब कवर कर लें।

ई नोट्स या हस्तलिखित नोट्स

ई नाइट्स। रिपोर्ट्स, योजनाएं, प्रबंधन इत्यादि अपडेट करने की जरूरत रहती है और नोट्स को अपने शब्दों में संक्षिप्त भी करना होता है। ई नोट्स में आप छवियां और लिंक्स भी जोड़ सकते हैं। वहीं दूसरी ओर हस्तलिखित नोट्स बनाने में बहुत समय खराब होता है और रिवीजन करने में भी बहुत बोरिंग लगता है। (अगर आपके पास लैपटॉप नहीं है तो MS word का मोबाइल एप भी आता है आप उससे बना सकते हैं साथ में वन ड्राइव पर भी ऑटो सेव कर सकते हैं जिससे डिलीट होने का खतरा भी नही रहता।)।


Posted: 04/05/2023, Thursday


जीवन की खूबसूरती यही है।
कि यह खूबसूरत हैं।