विषय की संपूर्ण तैयारी कैसे करें ?
यह ब्लॉग किसी विषय की मुख्य परीक्षा की दृष्टि से तैयारी करने से संबंधित है। यथा :-
विषय की छवि बनाना
विषय की छवि बनाना मतलब किसी भी विषय को एक बार ढंग से पढ़ना। उतना ढंग से पढ़ना की अगर आप पिछले वर्षों के प्रश्न पढ़े तो बता सके की कौनसा प्रश्न कहां से पूछा गया है।
पिछले प्रश्नों को पढ़ना
एक बार किसी विषय को अच्छे से पढ़ने के बाद उस विषय से पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को जरूर पढ़ लेना चाहिए क्योंकि इन्ही प्रश्नों से यूपीएससी वाली अप्रोच विकसित होती है की किसी टॉपिक को कवर करते वक्त क्या क्या पढ़ना है।
पिछले प्रश्नपत्रों का विश्लेषण
- सर्वप्रथम, उस विषय से कितने कितने अंको वाले कितने प्रश्न पूछे गए और कौनसी प्रश्न संख्या पर पूछे गए पता कीजिए(upsc में 12वीं की तरह ज्यादा अच्छे से आने वाले प्रश्न पहले नही कर सकते, जो जहां पर है उसे वहीं करना होगा)।
- फिर कम से कम पिछले 4-6 वर्षों के प्रश्नों से की-वर्ड्स निकालना की कोई प्रश्न किस टॉपिक पर पूछा गया।
- फिर पिछले प्रश्नों से निकाले गए की वर्ड्स की ग्रुपिंग कीजिए, मतलब एक जैसे टॉपिक्स को उचित शीर्षक देकर अलग कर लीजिए। उदाहरण के लिए भूगोल में चक्रवात, बाढ़, भूकंप, मृस्थलीकरण इत्यादि टॉपिक्स को भौगोलिक आपदाएं शीर्षक से एकसाथ रख सकते हैं।
स्वयं का पाठ्यक्रम बनाना
यूपीएससी में 'अंडर दा सन' सब कुछ नहीं पूछा जाता है।
- सर्वप्रथम, आपने जो पिछले वर्षों के प्रश्नों को पढ़कर टॉपिक्स निकाले थे और फिर उनकी ग्रुपिंग की थी उन ग्रुप्स में अपने दिमाग से कुछ टॉपिक्स और जोड़ दीजिए। जैसे की भूगोल में आपने आपदा वाले ग्रुप में चक्रवात, बाढ़, भूकंप जैसे टॉपिक्स पिछले प्रश्नों से उठाए थे तो अब बादल फटना, हीट वेव, हिमालय के ग्लेशियर का पिघलना जैसे टॉपिक्स आप अपने दिमाग से और लिख लीजिए।
- अब upsc द्वारा जारी सिलेबस को देखिए, सिलेबस के जो टॉपिक्स आपके ग्रुप्स में नहीं है उन्हें ग्रुप में शामिल कर लीजिए। ( अब आपके द्वारा बनाया गया पाठ्यक्रम upsc के पाठ्यक्रम और पिछले वर्षों के प्रश्नों, दोनों दिशाओं से श्रेष्ठ होगा)।
बेसिक नोट्स बनाना
आपने जो स्वयं का पाठ्यक्रम बनाया है, उन सभी टॉपिक्स पर बेसिक नोट्स बना लीजिए। बेसिक का मतलब है की उस टॉपिक की मूलभूत बातों को लिखों, जैसे अगर मरुस्थलीकरण पर बेसिक नोट्स बना रहे हो तो, सर्वप्रथम भारत सरकार, UN या सार्वभौमिक जो भी परिभाषा परचलित है उसे लिख लो, फिर मरुस्थलीकरण के दुष्प्रभाव और उपाय लिख लो, और अगर हो सके तो अभी तक क्या उपाय किए जा चुके हैं या सरकारी प्रयास भी लिख लो। बस बन गए बेसिक नोट्स। (और बेसिक नोट्स बनाते वक्त इस बात की चिंता मत करना की गुणवत्ता 100% हो)।
नोट्स की गुणवत्ता तय करना
- सर्वप्रथम, upsc का पाठ्यक्रम और पिछले वर्षों के प्रश्नों को पुनः देखो, कि कहीं आप गलत दिशा में तो नहीं जा रहे।
- फिर आपके नोट्स में जितनी भी बेकार की बाते हैं उन्हें हटा दो या कम से कम शब्दों में लिखो, ज्यादत्तर चीजों को अपने शब्दों में लिखो।
- अब उस टॉपिक में वेल्यु एड करो, मतलब की उस टॉपिक से जुड़ी कोई रिपोर्ट्स, सरकारी योजना या वैश्विक रूप से कोई संगठित प्रयास हो या नीति आयोग की टिप्पणी हो, ऐसी चीजों को नोट्स में जोड़ दो।
तथ्यों को याद करना
आपने कितना पढ़ा या कितने बड़े बड़े नोट्स बनाए इसका कोई महत्त्व नही है जब तक कि वह परीक्षा के दिन याद न आए। इसलिए यह जरूरी है की आप तथ्यों को रट लेवें। फिर से रटे, बार बार रटे।
- कम से कम, प्रमाणिक, और महत्वपूर्ण तथ्य ही याद करें।
- परिभाषा, प्रभाव, उपाय और महत्त्व समझने वाली बाते हैं। रटना केवल रिपोर्ट्स, योजना, प्रबंधन या अन्य आंकड़ों को है।
उत्तर लेखन के प्रयास करना
जब टॉपिक समझ लिया है और डाटा भी याद कर लिया है तो इंतजार किस चीज का, यहां तक कि चीजें समझने और रटने के साथ ही आंसर राइटिंग शुरू कर देनी है।
- उत्तर लेखन मॉडल के रूप में करें। मतलब अगर आप साम्प्रदायिकता पर आंसर लिखते हो तो वह सामूहिक हिंसा, संगठित अपराध, नृजातीय हिंसा, भूमि पुत्र जैसे टॉपिक्स से मिलता जुलता होगा, उनसे उत्पन्न समस्याएं और समाधान भी लगभग एक जैसे होंगे। अतः सभी टॉपिक्स पर आंसर लिखने के बजाय एक दो पर लिख लो काम हो जाएगा।
नोट्स को सामयिक से अद्यतन करना
लगभग सभी टॉपिक्स किसी न किसी मात्रा में कर्रेंट अफेयर से जुड़े हुए हैं। और upsc में पूछे जाने वाले प्रश्न भी अधिकतर करंट से ही होते हैं
- रिपोर्ट्स इत्यादि को कर्रेंट से अपडेट करते रहना
- कर्रेंट से नए टॉपिक्स उठाना और आंसर राइटिंग करते रहना
शॉर्ट नोट्स बनाना
नोट्स उतने ही बड़े होने चाहिए जितने आप परीक्षा से पहले रिवाइज कर सको।
- नोट्स में लिखी हुई लंबी चौड़ी बातों को हटा देना है या इन्ही नोट्स से केवल रिपोर्ट्स और तथ्यों का अलग शॉर्ट नोट बना लेना है।
- शॉर्ट नोट्स, सांकेतिक होने चाहिए। केवल पॉइंट्स।
- एक पेपर के शॉर्ट नोट्स एकसाथ होने चाहिए, सभी विषयों के।
अन्य बातें :-
क्या किसी विषय को एक ही बार में पूर्ण तैयार कर लेना चाहिए?
नही, एक ही बार में तैयार करना मूर्खतापूर्ण और बहुत ही बोरिंग होगा। आप पहले कोई चार विषयों का प्रथम अध्ययन कीजिए, फिर किन्ही और विषयों का प्रथम अध्ययन शुरू कर दीजिए और साथ ही एक बार पढ़े हुए विषयों के पिछले वर्षों के प्रश्नों को पढ़ना शुरू कर दीजिए। और ऐसे ही सभी चरणों को अलग अलग समय में करते रहना है इस तरह से करना है की परीक्षा से पहले तक सभी विषयों की संपूर्ण तैयारी हो जाए। एक बार में पढ़ना, फिर पिछले वर्षों के प्रश्न देखना, फिर नोट्स बनाना, रटना और शॉर्ट नोट्स बनाना अपने आप में इस तरह से है की विषय की संपूर्ण तैयारी होने तक कम से कम 7-8 बार रिवीजन हो जाएगा।
किसी भी विषय के लास्ट के टॉपिक्स को पढ़ना बहुत बोरिंग लगता है
यह सबके साथ होता है। समय का सदुपयोग इसी में होगा की आप लास्ट के कुछ टॉपिक्स को केवल हेडिंग्स लिख कर और थोड़ा बहुत लिख कर छोड़ दें। कहने को लोग कहेंगे की हार्ड टॉपिक्स को पहले करो, लास्ट में सिंपल टॉपिक्स रको आदि आदि पर सच कहें तो ऐसा कुछ नही होता अगर आप हठ करके कवर करते भी हैं तो एक घंटे का टॉपिक पूरा दिन खा जाएगा फिर भी अच्छे से कवर नही होगा और टाइम टेबल खराब होगा वो अलग। बेहतर होगा की आप उन टॉपिक्स को रिवीजन के समय या किसी दूसरे चरण में जब आप उस विषय को हाथ में ले तब कवर कर लें।
ई नोट्स या हस्तलिखित नोट्स
ई नाइट्स। रिपोर्ट्स, योजनाएं, प्रबंधन इत्यादि अपडेट करने की जरूरत रहती है और नोट्स को अपने शब्दों में संक्षिप्त भी करना होता है। ई नोट्स में आप छवियां और लिंक्स भी जोड़ सकते हैं। वहीं दूसरी ओर हस्तलिखित नोट्स बनाने में बहुत समय खराब होता है और रिवीजन करने में भी बहुत बोरिंग लगता है। (अगर आपके पास लैपटॉप नहीं है तो MS word का मोबाइल एप भी आता है आप उससे बना सकते हैं साथ में वन ड्राइव पर भी ऑटो सेव कर सकते हैं जिससे डिलीट होने का खतरा भी नही रहता।)।