राष्ट्रीय आय की गणना
अमेरिकी अर्थशास्त्री साइमन कुजनेट्स ने सकल घरेलू उत्पाद की अवधारणा को प्रस्तावित किया था। उन्होंने इस विधि का प्रयोग कर देश की घरेलू एवं राष्ट्रीय आय को 'सकल' (gross) एवं 'निवल' (net) रूपों में माप करते हुए चार स्पष्ट अवधारणाओं (जीडीपी, एन.डी.पी., जी.एन.पी. एवं एन.एन.पी.) का विकास किया।
सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP):
किसी भी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का अंतिम मौद्रिक मूल्य ही GDP है।
GDP का आकलन (राष्ट्रीय आय का भी) तीन विधियों से
- उत्पादन विधि से GDP: किसी भी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का अंतिम मौद्रिक मूल्य है।
- इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आर्थिक सीमाओं के अंदर विदेशी कंपनियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं को भी गिना जाता है तथा भारतीयों द्वारा विदेश में उत्पादन को नहीं गिना जाता।
- व्यय विधि (Expenditure Method) : इसमें आकलन राष्ट्रीय निजी उपभोग, सरकारी व्यय, सकल निवेश एवं शुद्ध निर्यात (निर्यात - आयत) के योगफल द्वारा भी किया जाता है।
- आय विधि (Income Method): वेतन, मुनाफा, किराया और ब्याज जैसी आयों को जोड़कर।
यदि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगातार दो तिमाहियों तक गिरावट आती है, तो उसे मंदी के रूप में जाना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वेतन में स्थिरता आ सकती है और नौकरियां खत्म हो सकती हैं ।
यदि सकल घरेलू उत्पाद लगातार बढ़ रहा है, तो लोग अधिक कर देते हैं क्योंकि वे अधिक कमाते हैं और अधिक खर्च करते हैं।
शुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product- NDP):
- किसी भी अर्थव्यवस्था का वह GDP, जिसमे से एक वर्ष के दौरान होने वाली घिसावट (पूंजी स्टॉक की खपत) को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
- वास्तव में जिन संसाधनों द्वारा उत्पादन किया जाता है, उपयोग के दौरान उनके मूल्यों में कमी हो जाती है, जिसका मतलब उस सामान का घिसना या टूटने फूटने से है।
- घिसावट की दर सरकार निर्धारित करती है तथा भारत में यह फैसला केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय करता है।
- NDP= GDP- घिसावट। अर्थात् NDP हमेशा ही GDP से कम होता है।
- विदेशी विनिमय बाजार में अगर घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के सामने कम होता है तो उसे घरेलू मुद्रा की घिसावट (Depreciation) कहते हैं।
- इसका इस्तेमाल दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करने में नहीं किया जाता क्योंकि घिसावट दरें सरकार अपने अपने अनुसार तय करती है, हालांकि ये तार्किक होती है पर जरूरी नहीं।
- 2002 में भारत सरकार ने वाहन जिनमे 6 या उससे अधिक पहिए हो, में घिसावट दर 20% से बढ़ाकर 40% कर दी थी, भारी वाहन की बिक्री बढ़ाने के लिए।
- घिसावट दर (Depreciation Rate) बढ़ाने का मतलब यह था कि कंपनियाँ और व्यापारी अपने वाहनों के मूल्य में तेजी से कमी दिखा सकते थे और टैक्स में छूट पा सकते थे।
- जब कोई व्यवसाय कोई नया वाहन खरीदता है, तो उसकी लागत को "घिसावट" के रूप में कर योग्य आय (Taxable Income) से घटाया जाता है।
- पहले, यदि कोई वाहन ₹10 लाख का था और घिसावट दर 20% थी, तो पहले साल में व्यापारी को ₹2 लाख की टैक्स छूट मिलती थी जो अब 4 लाख हो गई।
- मूलतः घिसावट और उसकी दरें भी आधुनिक सरकारों के लिए आर्थिक नीतियों को बनाने के लिए एक हथियार है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product- GNP) :
- देश के निवाशियों द्वारा देश में या विदेश में एक वर्ष में किये गए अंतिम रूप से उत्पादित कुल वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।
- GNP= GDP- आयात या विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय + निर्यात या देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय
- GNP= GDP+ "विदेश में भारतीयों की - भारत में विदेशियों की कमाई" (निजी प्रेषण (Private Remittance) में हमेशा लाभ पर आयत घाटा) + "विदेशी ऋणों का ब्याज लेना - विदेशों को देना" (हमेशा हानि) + विदेशी अनुदान - विदेशों को अनुदान (अल्प पर हमेशा लाभ)
- GNP के आधार पर IMF देशों को क्रय शक्ति तुल्यता (PPP) के आधार पर रैंक करता है।
- GNP अर्थव्यवस्था की परिणामात्मक के साथ साथ गुणवत्ता तस्वीर भी पेश करता है।
- यह बताता है की बाहरी दुनिया किसी देश के खास उत्पाद पर कितना निर्भर है और वह दुनिया के देशों पर कितना निर्भर है।
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product- NNP):
- NNP= GNP- घिसावट।
राष्ट्रीय आय (National Income-IN) :
- राष्ट्रीय आय से तात्पर्य अर्थव्यवस्था द्वारा पूरे वर्ष के दौरान उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं के शुद्ध मूल्य के योग से होता है इसमें विदेशों से अर्जित शुद्ध आय भी शामिल होता है।
- राष्ट्रीय आय में सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की बाजार कीमतें शामिल की जाती है।
- NNP कारक मूल्य को ही राष्ट्रीय आय लिखते हैं।
- राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर NNP- अप्रत्यक्ष कर + सब्सिडी
- राष्ट्रीय आय का संबंध वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह से हैं इसलिए इस अवधारणा के साथ समय की अवधि जुड़ा रहता है। प्रायः एक वर्ष की अवधि ली जाती है।
व्यक्तिगत आय (Personal Income):
- व्यक्तिगत आय वह आय है जो देशवासियों को वास्तव में प्राप्त होती है।
- व्यक्तिगत आय= राष्ट्रीय आय -निगमों का अवितरित लाभांश - निगम कर - सामाजिक सुरक्षा योजना के लिए किए गए भुगतान + सरकारी हस्तांतरण भुगतान + व्यापारिक हस्तांतरण भुगतान।
व्यय योग्य वैयक्तिक आय (Disposable Personal Income):
- व्यय योग्य वैयक्तिक आय= वैयक्तिक आय - वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर।
प्रति व्यक्ति आय (per capita income):
- PCI= NNP/ जनसंख्या।
कारक लागत :
- निवेश की गई लागत होती है जिसे उत्पादक, उत्पादन प्रक्रिया के दौरान लगाता है।
- जैसे की पूंजी की लागत, ऋणों पर ब्याज, कच्चा माल, श्रम, किराया, बिजली इत्यादि।
- इसे फैक्ट्री लागत या उत्पादन लागत/मूल्य भी कहते हैं।
- यह और कुछ नहीं बस निर्माता के नजरिए से वस्तु की कीमत है।
बाजार लागत :
- यह वस्तु की कारक लागत पर अप्रत्यक्ष कर जोड़ने के बाद प्राप्त होता है।
- वह लागत जिस पर वस्तु बाजार में पहुंचती है।
- भारत आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय आय की गणना कारक लागत पर किया करता था लेकिन लेकिन जनवरी 2015 से CSO द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना बाजार मूल्य पर की जा रही है।
- GVA में उत्पाद करों को शामिल करने के बाद बाजार मूल्य ज्ञात होता है।
सकल मूल्यवर्द्धन (Gross Value Added-GVA):
- यह एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ, इसके बारे में बताता है।
- उदाहरण के लिए ऐसे समझे कि किसी वस्तु के निर्माण के लिए 20 रुपए का कच्चा माल लगता है, 20 रुपए के श्रमिक लगते हैं, तो उस वस्तु का वास्तविक मूल्य 40 रुपए बनता है लेकिन उस वस्तु की मार्केट में डिमांड 100 रुपए है तो 60 रुपए सकल मूल्यवर्धन हुआ।