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मुद्रा गुणक (Money Multiplier)


मौद्रिक अर्थशास्त्र में मुद्रा गुणक (Money multiplier), मुद्रा आपूर्ति (Money supply) और मौद्रिक आधार (Base Money) का अनुपात है।

मुद्रा गुणक उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसके माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में प्रारंभिक मुद्रा आपूर्ति (Base Money) कई गुना बढ़ जाती है। यह बैंकिंग प्रणाली में अंशदायी बैंकिंग (Fractional Reserve Banking) के कारण होता है, जहां बैंक अपने जमा का केवल एक हिस्सा आरक्षित रखते हैं और बाकी को ऋण के रूप में जारी कर देते हैं।

उदाहरण :जैसे अगर बैंक में 1 लाख रुपए जमा है और RBI के निर्देश में जमा का केवल 10% CRR के रूप में बैंक को RBI के पास रखना अनिवार्य है तो बैंक बाकी 90 हजार में से लोन दे सकती है, जब बैंक उनमें से 50 हजार किसी और को लोन देती है तो अब अर्थव्यवस्था में उसी एक लाख से मुद्रा प्रवाह बढ़कर 1 लाख 50 हजार हो चुका है।

अंशदायी बैंकिंग (Fractional Reserve Banking)

अंशदायी बैंकिंग या आंशिक आरक्षित बैंकिंग में बैंक लोगों के पैसों का कुछ % ही केंद्रीय बैंक के पास या अपने पास रखते हैं तथा बाकी पैसे लोन के रूप में पुनः बांट देते हैं।

CRR क्या है?

जो धन का कुछ प्रतिशत बैंक को केंद्रीय बैंक के पास कैश में रखना होता है उसे नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio ) या शॉर्ट में CRR कहा जाता है।

मुद्रा गुणक माइंड मैप में बैंक बैलेंस सीट से समझें:

  1) एक व्यक्ति राम बैंक में      |  बैंक में डिपोजिट
     1000 जमा करवाता है।     |    1000₹
                          |      ↓
  2) अब यदि जमा का 10%     |  10%CRR= 100₹ 
     बैंकों को RBI के पास      |   (RBI को दिए)
    CRR के रूप में रखना है     |       ↓
   तो 10% के 100 के अलावा    |  अब बैंक श्याम को
 बचे हुए 900₹ को बैंक अन्य ग्राहक |  900₹ का लोन (जमा)
  को लोन के रूप में बांट सकता है  |     देता है।
   लोन पास होते ही लेने वाले के   |  10%CRR= 90₹
  खाते में लोन राशि जमा का रूप   ।    (RBI को दिए)
  ले लेती है। इसलिए इस जमा के   |
 लिए भी बैंक को केवल 10% CRR  |  (810 का लोन
 रखना होगा। (मतलब कि बैंक के    |  देने की कैपेसिटी
 पास अब भी 810 रूपये किसी     |  अभी भी बची हुई है)
 और को लोन देने के लिए पड़े हैं)।  |
                           |
   3) तीसरे बंदे पंकज को बैंक     |   10%CRR= 81₹
      810 का लोन देता है       |    (RBI को दिए)
      
   4) बैंक अभी भी चौथे बंदे को
      729₹ का लोन दे सकता है
      और इसी तरह और भी बंदों
     को लोन देने की ये प्रक्रिया तब
     तक चलती रहेगी जब तक कि
      बैंक के पास CRR रखने के
      बाद भी पैसा बचा हुआ है।
      
   निष्कर्ष : बैंक ने 1000₹ की जमा (Base money) 
   के आधार पर 1000 के अतिरिक्त 
   900 + 810 + 729 = 2439 की 
   जमा क्रिएट कर ली। अर्थात अर्थव्यवस्था में 2439₹ की
   मुद्रा आपूर्ति बढ़ गई। इसे ही मुद्रा गुणक कहते हैं।
   
   
               1
   मुद्रा गुणक = ______ 
              CRR 
  
       अगर CRR 10% है!
       
                         1
           तो मुद्रा गुणक = ______        __
                         1             |
                        ________x 100  |अर्थात्10% CRR 
                         10            |
                                     __|
               या
                         1x100
                      ___________
                           10
              __________________
              | या मुद्रा गुणक = 10 |
              |________________| 
       अर्थात 1 रुपए अगर नए रिजर्व में आता है तो वह 
            मुद्रा गुणक प्रक्रिया से गुजरने के बाद 
                10 रुपए बन जाता है।
   📍CRR जितना अधिक होगा मुद्रा गुणक उतना ही कम होगा।

मुद्रा गुणक से बने अतिरिक्त पैसे कहां से आएंगे?

मुद्रा गुणक से बने अतिरिक्त पैसे आभासी होते हैं, ये व्यवस्था इसलिए चलती है क्योंकि अर्थव्यवस्था में मौजूद अधिकतर मुद्रा, बैंक में नंबर्स में जमा होती है। अब निम्न स्थितियों पर चर्चा करें:

मुद्रा गुणक से बनी अतिरिक्त मुद्रा के लिए बैंकनोट कहां से आएंगे?

बैंकनोट केवल मुद्रा के लेनदेन का एक साधन है इसलिए अर्थव्यवस्था में मौजूद सम्पूर्ण मुद्रा के लिए कैश प्रिंट नहीं किया जाता और अधिकतर मुद्रा केवल नंबर्स में बैंक में जमा रहती है।

ऋण स्वपोषित होते हैं :

“बैंकिंग प्रणाली में नए ऋणों के वित्तपोषण के लिए न तो तरलता अधिशेष की आवश्यकता होती है और न ही जमा की। ऋण उनके द्वारा बनाई गई जमा राशि से स्व-पोषित होते हैं।”

इसे बैंक की बैलेंस शीट से समझें:

“बैंकिंग प्रणाली तरलता अधिशेष को "उधार" नहीं दे सकती है, न ही यह किसी भी तरलता घाटे को कम करने के लिए सक्रिय रूप से जमा का स्रोत बना सकती है।”

तरलता अधिशेष :

जब बैंकों के पास जरूरत से ज्यादा नकदी होती है (जैसे: CRR/SLR पूरा करने के बाद भी)।

तरलता घाटा :

जब बैंकों के पास जरूरत से कम नकदी होती है।

बैंकिंग प्रणाली का जिक्र है मतलब कि पूरी प्रणाली सामूहिक रूप से न तो अधिशेष तरलता कम करने के लिए इसे किसी को उधार दे सकती है और न ही घाटा पूर्ति के लिए नगदी बना सकती है।

जैसे यदि किसी बैंकिंग प्रणाली में 1000 रूपए अधिशेष है तो बैंक A अपना 100 अधिशेष बैंक B को देता है तो केवल एक बैंक की तरलता उधारी पर जाएगी लेकिन सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली में अब भी 1000 रुपए की ही तरलता बनी रहेगी अर्थात बैंक केवल तरलता स्थानांतरित कर सकती है बना या घटा नहीं सकती।

केवल RBI बैंकिंग प्रणाली में नगदी बना सकती है और तरलता जोड़ या घटा सकती है।

बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न:

वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio): SLR क्या है?

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को अपने NDTL का एक विशेष अनुपात अपने ही पास गैर-नकद के रूप में रखना अनिवार्य है। RBI इसे 40% तक कर सकती है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio-CAR) क्या है?

जोखिम वाले ऋण की केटेगरी वाले ऋणों के 9-12% जो भी RBI तय करे रखना पड़ता है।


मुद्रा के 21 प्रकार↗

भारत में चलन में नोट व सिक्के ↗

मुद्रा आपूर्ति/ स्टॉक (Money supply/stock) ↗