पूंजी (Capital)
पूंजी: पूंजी वह संपत्ति या संसाधन है जिसका उपयोग उत्पादन, व्यापार, और आर्थिक विकास के लिए किया जाता है। इसे श्रम और प्राकृतिक संसाधनों के साथ मिलाकर वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है।
पूंजी शॉर्ट नोट्स
- पूंजी: उत्पादन में उपयोगी संपत्ति या संसाधन।
- वर्गीकरण: आर्थिक पूंजी (भौतिक - मशीन, मानव - कौशल, वित्तीय - निवेश योग्य धन, सामाजिक - आपसी विश्वास, प्राकृतिक - खनिज), उपयोगिता आधार पर (स्थायी पूंजी - आधार, मशीन; कार्यशील पूंजी - दैनिक, बिजली), निजी व सार्वजनिक पूंजी भी।
- निर्माण: बचत, निवेश, नवाचार, आर्थिक विकास से उपयोगिता वृद्धि।
- स्रोत: घरेलू बचत, FDI, बैंकिंग प्रणाली, सार्वजनिक निवेश।
- बाधाएं: कम बचत, अविकसित बैंकिंग प्रणाली से कम वित्तीय समावेश, अस्थिर नीतियों की वजह से कम निजी निवेश, पूंजी पलायन, नवाचार संस्कृति का अभाव।
- पूंजी निर्माण योजनाएं: (पढ़नी है : स्टार्टअप इंडिया आदि)
- पूंजी संचय: किसी देश में पूंजीगत संपत्तियों (मशीन, कारखाने, बुनियादी ढाँचे) का लगातार बढ़ना।
पूंजी प्रकार या वर्गीकरण
- (A) आर्थिक दृष्टिकोण से पूंजी के प्रकार
- भौतिक पूंजी (Physical Capital)
- मशीन, औजार, भवन आदि भौतिक संपत्तियाँ जो उत्पादन में सहायक होती हैं।
- जैसे : मशीनें, कारखाने, वाहन।
- मानव पूंजी (Human Capital)
- ज्ञान, कौशल और शिक्षा, जो श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाती है।
- शिक्षित और प्रशिक्षित कर्मचारी।
- वित्तीय पूंजी (Financial Capital)
- वे संसाधन जो धन के रूप में उपलब्ध होते हैं और निवेश के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- नकद, बैंक बैलेंस, शेयर, बॉन्ड।
- सामाजिक पूंजी (Social Capital)
- समाज में विश्वास, आपसी सहयोग और नेटवर्क जो आर्थिक गतिविधियों को सुगम बनाते हैं।
- अच्छे सामाजिक संबंध, व्यापार नेटवर्क।
- प्राकृतिक पूंजी (Natural Capital)
- वे संसाधन जो प्रकृति से प्राप्त होते हैं और उत्पादन में सहायक होते हैं।
- जल, खनिज, भूमि।
- भौतिक पूंजी (Physical Capital)
- (B) उपयोगिता के आधार पर पूंजी के प्रकार
- स्थायी पूंजी (Fixed Capital)
- लंबे समय तक उपयोग होने वाली पूंजी, जैसे मशीन, भवन।
- परिचालन पूंजी (Working Capital)
- दैनिक कार्यों में उपयोग होने वाली पूंजी, जैसे कच्चा माल, मजदूरी, बिजली।
- स्थायी पूंजी (Fixed Capital)
- (C) स्वामित्व के आधार पर पूंजी के प्रकार
- निजी पूंजी (Private Capital)
- व्यक्तिगत या कंपनियों द्वारा स्वामित्व वाली पूंजी।
- सार्वजनिक पूंजी (Public Capital)
- सरकार द्वारा नियंत्रित पूंजी, जैसे सड़कें, पुल।
- निजी पूंजी (Private Capital)
पूंजी निर्माण (Capital Formation)
पूंजी निर्माण वह प्रक्रिया है जिसमें एक अर्थव्यवस्था में नई पूंजीगत वस्तुओं (जैसे मशीन, फैक्ट्री, उपकरण) का निर्माण और संचित किया जाता है, जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
- पूंजी निर्माण की प्रक्रिया :
- 1. बचत (Savings) – जब व्यक्ति और संस्थाएँ अपनी आय का एक हिस्सा खर्च करने के बजाय बचाते हैं।
- 2. निवेश (Investment) – बचत को उत्पादन बढ़ाने वाली संपत्तियों में लगाया जाता है।
- 3. नवाचार (Innovation) – नई तकनीकों और उत्पादन विधियों को अपनाया जाता है।
- 4. आर्थिक विकास (Economic Growth) – बढ़ी हुई पूंजी अर्थव्यवस्था की उत्पादकता को बढ़ाती है।
- पूंजी निर्माण के स्रोत:
- घरेलू बचत (Domestic Savings)
- विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI)
- बैंकिंग प्रणाली (Banking System)
- सार्वजनिक क्षेत्र की पूंजी (Public Investment)
- पूंजी निर्माण की बाधाएँ (Barriers to Capital Formation)
- कम बचत दर
- अविकसित बैंकिंग प्रणाली
- राजनीतिक अस्थिरता
- पूंजी पलायन (Capital Flight)
- कम तकनीकी नवाचार
पूंजी संचय (Capital Accumulation)
- पूंजी संचय का अर्थ है किसी देश में पूंजीगत संपत्तियों (मशीन, कारखाने, बुनियादी ढाँचे) का लगातार बढ़ना।
भारत में पूंजी निर्माण की स्थिति :
- राष्ट्रीय बचत दर: लगभग 30% (हालांकि, यह चीन की 40%+ बचत दर से कम है)।
- निवेश दर: निवेश और पूंजी निर्माण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न नीतियाँ बनाई गई हैं, जैसे FDI सुधार, मेक इन इंडिया, PLI स्कीम, स्टार्टअप इंडिया।
बैंकों द्वारा पूंजी निर्माण:
- बैंकों में बचत (Savings) को निवेश (Investment) में परिवर्तित किया जाता है।
- बैंक उद्योगों, किसानों और व्यापारियों को ऋण देकर पूंजी निर्माण में मदद करते हैं।
- NBFC (Non-Banking Financial Companies) और Microfinance Institutions (MFIs) भी पूंजी निर्माण में योगदान देते हैं।
भारत में पूंजी निर्माण की चुनौतियाँ और समाधान
- चुनौतियां
- कम वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) → बड़ी आबादी अभी भी औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से बाहर है।
- ब्याज दरों में अस्थिरता → महंगे ऋण निवेश को हतोत्साहित करते हैं।
- निजी क्षेत्र का कम निवेश → उच्च सरकारी ऋण और नीतिगत अनिश्चितता के कारण।
- संभावित समाधान:
- ✔ वित्तीय समावेशन बढ़ाना → "जन धन योजना", "डिजिटल बैंकिंग" को बढ़ावा देना।
- ✔ FDI को और अधिक आकर्षित करना → "Ease of Doing Business" में सुधार।
- ✔ Startup और MSME सेक्टर को अधिक समर्थन → कम ब्याज दर पर ऋण
- वैश्विक स्तर पर पूंजी निर्माण:
- चीन: उच्च सरकारी निवेश, बुनियादी ढाँचे में जबरदस्त विकास।
- अमेरिका: वित्तीय बाजारों का बड़ा योगदान, स्टार्टअप और इनोवेशन हब।
- भारत: मध्यम बचत दर, बढ़ती FDI प्रवृत्ति, लेकिन धीमी औद्योगिक वृद्धि।