UPSC के पुराने प्रश्नपत्रों का विश्लेषण कैसे करें, टॉपर्स गाइडेंस एवं विस्तृत रणनीति
PYQ विश्लेषण को लेकर एस्पिरेंट के मन में बहुत सारे सवाल होते हैं कि PYQ विश्लेषण क्यों महत्वपूर्ण है?, PYQ विश्लेषण कैसे करना चाहिए?, कौनसे विषयों पर ध्यान देना चाहिए?, कौनसे प्रश्न प्रकार सबसे अधिक पूछे जाते हैं?, कैसे पता करें कि कौनसे विषय महत्वपूर्ण हैं?, pyq विश्लेषण रणनीति आदि आदि। इस ब्लॉग में आपके आपके सारे प्रश्नों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
1. UPSC मैंस PYQ विश्लेषण कैसे करें :
मैं लंबी चौड़ी बकवास पर नहीं जाऊंगा, सीधे मुद्दे पर आते हैं। मैंस pyq विश्लेषण कुछ इस तरह करें:
- PYQ विश्लेषण की प्रक्रिया प्रथम अध्ययन के साथ ही शुरू हो जाती है। हम सबसे पहले कम से कम पिछले 4 वर्षों के प्रश्नपत्रों को पढ़ते हैं। जब आप इन प्रश्नों को पढ़ते हैं तो उस प्रश्न पर मार्क कर लेना चाहिए कि वह प्रश्न किस विषय से है। पढ़ते वक्त हर प्रश्न में मुख्य कीवर्ड(जैसे की मरुस्थलीकरण) एवं छाया कीवर्ड (जैसे कि मरुस्थलीकरण के प्रभाव एवं रोकने के उपाय) को मार्कर से हाईलाइट कर लेते हैं। (कुछ एस्पिरेंट तो इन कीवर्ड्स को एक अलग कॉपी में लिख लेते हैं, जिससे आपको बार बार प्रश्नपत्रों के बंडलों को नहीं ढोना पड़ता ही।)
- अगर आपने कीवर्ड निकलने का काम कर लिया हो तो पेन और नोटबुक निकालिए और आगे का विश्लेषण शुरू करते हैं।
- आपको चाहिए कि आप GS1, GS2, GS3 के pyq का विश्लेषण अलग अलग करें जिसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया नीचे दी है:।
- सबसे पहले GS 1 (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1) हेडिंग डालिए, उसके नीचे 6 सब हेडिंग्स डालिए (भूगोल, समाज, कला व संस्कृति एवं प्राचीन इतिहास, आधुनिक इतिहास व मध्यकालीन इतिहास,विश्व इतिहास ।
- अब समय है प्रश्नपत्र देखने का। हम 2023 के प्रश्नपत्र से शुरुआत करेंगे।
- जैसा कि हमने ऊपर बताया है, आप पिछले 4 वर्षों के प्रश्नपत्र फर्स्ट रीडिंग के साथ ही पढ़ चुके हैं, और उन पर विषय का नाम भी लिख दिया है कि कौनसा प्रश्न किस विषय से पूछा गया है।
- आप GS पेपर 1, 2023 का पहला प्रश्न पढ़ेंगे और पाएंगे कि यह प्रश्न कला व संस्कृति से पूछा गया है। अतः आप अपने पेज में कला व संस्कृति विषय के सामने 1 लिख देंगे, ऐसे ही आगे के जो प्रश्न जिस विषय से पूछा गया है उस विषय के सामने प्रश्न संख्या लगा देंगे।
- यह प्रक्रिया GS 2 में कुछ इस प्रकार दिखेगी
- इससे आपको दो लाभ होगा, एक तो आपको यह पता चल जाएगा कि किस विषय से कितने प्रश्न पूछे गए हैं और दूसरा यह कि किस प्रश्न संख्या पर किस विषय से प्रश्न पूछा गया है।
- यह जानना बहुत महत्त्वपूर्ण है कि कौनसी प्रश्नसंख्या पर किस विषय का प्रश्न पूछा गया है क्योंकि शुरुआत के 10 प्रश्न 150 शब्दों के एवं 10 अंको वाले होते हैं, वहीं लास्ट के 10 प्रश्न 250 शब्दों के एवं 15 अंक वाले होते हैं।
- यह प्रक्रिया GS 2 में कुछ इस प्रकार दिखेगी
- विश्लेषण की यह प्रक्रिया आपको सभी GS पेपर के लिए कम से कम 4 वर्षों के प्रश्नपत्रों में दोहरानी है।
- इस प्रक्रिया तक आपको यह तो पता चल गया कि किस विषय का UPSC में कितना महत्त्व है। लेकिन किसी विषय में किसी टॉपिक का कितना महत्त्व है यह आपको अभी तक पता नहीं चला है। क्योंकि यह जानने के बाद ही आपको पता चलेगा कि किसी टॉपिक को कितनी गहराई से पढ़ना है।
- आपको याद होगा, हमने ऊपर आपसे कहा था कि पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को पढ़ते समय मुख्य कीवर्ड एवं उसकी छाया को हाईलाइट करना है। इन्ही हाईलाइट किए गए कीवर्ड की सहायता से आप पता करेंगे की किसी विषय में किसी टॉपिक का कितना महत्त्व है।
- अब आपको उन कीवर्ड्स की सहायता से यह पता करना है कि किसी खास विषय में जैसे कि भूगोल में किस टाइप्स के टॉपिक्स से संबंधित प्रश्न अधिक आ रहे हैं।
- उदाहरण के लिए अगर भूगोल में मरुस्थलीकरण, वन अग्नि, भूकंप, चक्रवात, ज्वालामुखी आदि से ज्यादा प्रश्न आ रहे हैं तो आप समझ सकते हैं की भूगोल में "आपदाओं से जुड़े टॉपिक्स" का महत्त्व अधिक है।
- हमारा विश्लेषण यहां भी नहीं रुकता है, क्योंकि हमे यह तो पता चल गया की किसी विषय में कौनसे टॉपिक्स ज्यादा महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह पता नहीं चला की उन टॉपिक्स को कितनी गहराई से कवर करना है।
- उदाहरण के लिए, आपको पता है कि भूगोल में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित टॉपिक्स ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। अब हम उन टॉपिक्स से जुड़े प्रश्नों को और ध्यान से पढ़ेंगे, उन प्रश्नों की छाया को देखेंगे की अगर मरुस्थलीकरण पर प्रश्न आया है तो उसका प्रभाव पूछा है या उपाय पूछा है या कारण। इसी प्रकार अन्य आपदाओं के प्रश्नों में क्या पूछा है। हम इन टॉपिक्स में उसी तरह की चीजें कवर करेंगे जिस तरह की चीजें upsc पहले भी पूछ चुका है।
- आप एक बार सोच सकते हैं कि upsc हमेशा एक जैसे प्रश्न ही थोड़ी पूछेगा। आपका सही है, हम किसी टॉपिक को हर तरह से कवर करना चाहिए लेकिन उस तरह से तो कवर कर लो जिस तरह से प्रश्न upsc पूछता आया है।
- क्योंकि UPSC में कई प्रश्न बार बार रिपीट हुए हैं और अगर नए प्रश्न आए भी है तो पहले आए हुए प्रश्नों को ही घूमा फिराकर फिर से पूछा गया है। जैसे कि अगर इस बार मरुस्थलीकरण का कारण पूछा है तो अगली बार भूस्खलन का कारण पूछ सकते हैं।
- इस तरह विश्लेषण करने से हमने जाना कि किसी विषय का UPSC में कितना महत्व है, किसी विषय में कौनसे टॉपिक्स महत्वपूर्ण है और किसी टॉपिक को कितनी गहराई से कवर करना है।
- एक सवाल अब भी बाकी है। क्या अब आप किसी विषय को या किसी टॉपिक को सम्पूर्ण तरीके से कवर कर सकते हैं?, जवाब है नहीं। क्योंकि जब आप ऊपर बताए गए तरीके से किसी टॉपिक को कवर करके आंसर राइटिंग करने बैठोगे तो आपको पता चलेगा कि आप पूरा टॉपिक कवर करने के बाद भी अच्छे से उत्तर नहीं दे पा रहे हैं आपके नोट्स पर्याप्त नहीं है।
- ज्यादा गभराने वाली बात नहीं है, क्योंकि ऐसा इसलिए हो रहा है कि आपने नाइट्स आंसर राइटिंग बेस्ड नहीं है।
- इसके लिए आपको बस यह करना है की पहले केवल रफ नोट्स बनाने हैं और आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करनी है। अब रफ नोट्स को इस तरह व्यवस्थित करो की आप उस टॉपिक से पूछे गए किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सके। यही है आंसर राइटिंग बेस्ड नोट्स।
2. कौन से विषयों पर सबसे अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं?
भूगोल, आर्थिक विकास, राजनीति से सबसे अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं केवल इन तीन विषयों से लगभग 300 अंको के प्रश्न gs1, gs2, gs3 पेपर में पूछे जाते हैं।
इसे अलावा समाज, शासन व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन से भी अच्छे खासे प्रश्न पूछे जाते हैं। (आधुनिक इतिहास से बहुत कम प्रश्न आते हैं 2 या 3 या 4)।
3. कितने सालों के PYQ का अध्ययन करना चाहिए?
UPSC मेंस परीक्षा की तैयारी के लिए पिछले 10-15 वर्षों के PYQs का अध्ययन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आपको परीक्षा के पैटर्न और टॉपिक्स की प्राथमिकताओं को समझने में मदद करता है। 10-15 सालों के प्रश्न पत्रों से आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि कौन से विषय लगातार महत्वपूर्ण रहे हैं और किन टॉपिक्स पर प्रश्नों का रुझान बढ़ा है। इसके अलावा, पिछले वर्षों के प्रश्न आपको UPSC के प्रश्नों की गहनता और विविधता को समझने का मौका देते हैं, जिससे आप बेहतर रणनीति बना सकते हैं। PYQs के विश्लेषण से आप यह भी जान सकते हैं कि किस प्रकार के प्रश्न बार-बार आते हैं, जैसे तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक, या विचारशील प्रश्न, जो मुख्य परीक्षा में आपके उत्तर लेखन कौशल को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
समग्र रूप से, पिछले 10-15 सालों के PYQs का अध्ययन आपको परीक्षा की गहरी समझ और स्मार्ट तैयारी के लिए जरूरी दिशा प्रदान करता है।
4. क्या केवल PYQ का अध्ययन पर्याप्त है?
केवल PYQ का अध्ययन UPSC की तैयारी के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। PYQs से आपको परीक्षा के पैटर्न, टॉपिक्स की प्राथमिकता, और प्रश्नों के प्रकार की समझ मिलती है। हालांकि, UPSC में सफल होने के लिए एक व्यापक अध्ययन योजना जरूरी है जिसमें सिलेबस का संपूर्ण कवरेज, वैचारिक स्पष्टता, समसामयिक घटनाओं की जानकारी, उत्तर लेखन का अभ्यास, और नियमित रिवीजन शामिल हो। PYQs को आधार बनाकर अपनी तैयारी को दिशा दें, लेकिन अन्य आवश्यकताओं को भी नजरअंदाज न करें।
5. प्रश्नों के पैटर्न और ट्रेंड्स कैसे पहचानें?
- PYQs का विस्तृत विश्लेषण: पिछले 10-15 वर्षों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करें और देखें कि कौन से विषय बार-बार आते हैं। यह आपको उन टॉपिक्स का पैटर्न और प्राथमिकता समझने में मदद करेगा, जो UPSC अक्सर पूछता है।
- विषयवार वर्गीकरण: प्रश्नों को अलग-अलग विषयों (जैसे इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र, आदि) के अनुसार वर्गीकृत करें और देखें कि प्रत्येक विषय से किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे आप यह समझ पाएंगे कि किस विषय के किस टॉपिक पर ज्यादा फोकस किया गया है।
- प्रश्नों के प्रकार: प्रश्नों को उनके प्रकार (तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक, या विचारशील) के आधार पर पहचानें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि UPSC किस प्रकार की सोच और दृष्टिकोण की अपेक्षा करता है।
- ट्रेंड्स का अवलोकन: देखें कि हाल के वर्षों में किन विषयों या टॉपिक्स पर अधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं, जैसे पर्यावरण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में बढ़ती रुचि।
- समसामयिक घटनाओं का प्रभाव: UPSC अक्सर समसामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न पूछता है। यह देखने के लिए कि कौन से हालिया घटनाक्रम या मुद्दे पिछले वर्षों के प्रश्नों में शामिल किए गए हैं, पिछले प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करें।
6. यूपीएससी मेन्स के लिए तैयारी करते समय, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करें: इससे आपको परीक्षा के पैटर्न और पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार के बारे में एक अच्छा विचार मिलेगा।
- अखबारों और पत्रिकाओं को नियमित रूप से पढ़ें: इससे आपको वर्तमान घटनाओं के बारे में अपडेट रहने में मदद मिलेगी।
- विभिन्न विषयों पर नोट्स बनाएं: यह आपको अपनी तैयारी को व्यवस्थित करने में मदद करेगा।
- मॉक टेस्ट दें: इससे आपको अपनी तैयारी का आकलन करने और समय प्रबंधन के कौशल में सुधार करने में मदद मिलेगी।
7. PYQ विश्लेषण के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं:
- यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट: यहां आपको परीक्षा पैटर्न, सिलेबस और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
- ऑनलाइन स्टडी मटेरियल: कई वेबसाइटें और ऐप्स यूपीएससी मेन्स की तैयारी के लिए अध्ययन सामग्री प्रदान करते हैं।
- कोचिंग संस्थान: कोचिंग संस्थान आपको मार्गदर्शन और अध्ययन सामग्री प्रदान कर सकते हैं।
8. UPSC मैंस PYQ विश्लेषण की विधि
- संग्रह और व्यवस्थित करें: पिछले 10-15 वर्षों के PYQs इकट्ठा करें और उन्हें विषयवार व्यवस्थित करें।
- विषयवार वर्गीकरण: प्रश्नों को प्रमुख विषयों (इतिहास, भूगोल, राजनीति, आदि) और उप-विषयों में बांटें।
- ट्रेंड्स और पैटर्न पहचानें: देखें कि किस विषय या टॉपिक से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं और किस प्रकार के प्रश्न बार-बार आते हैं।
- प्रश्नों के प्रकार का विश्लेषण करें: प्रश्नों की प्रकृति (तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक, विचारशील) को पहचानें।
- समसामयिक मुद्दों से संबंधित प्रश्न: समसामयिक घटनाओं और नई नीतियों से संबंधित प्रश्नों का विश्लेषण करें।
- रिवीजन और मॉक टेस्ट: PYQ आधारित मॉक टेस्ट लें और समीक्षा करें कि आपने कितनी अच्छी तरह से तैयारी की है।
FAQ : बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. मैं PYQ विश्लेषण कैसे शुरू करूँ, क्या कोई विशिष्ट रणनीति है?
UPSC PYQ विश्लेषण के लिए पहले सिलेबस के अनुसार प्रश्नों को टॉपिक-वाइज कैटेगराइज करें। पैटर्न और ट्रेंड्स पहचानें, खासकर बार-बार पूछे जाने वाले टॉपिक्स। प्रश्नों के प्रकार (तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक) और कठिनाई स्तर को समझें। मॉक टेस्ट के रूप में PYQs का अभ्यास करें और उत्तर लेखन कौशल में सुधार करें। हाल की घटनाओं का असर भी देखें और नियमित रिवीजन करें।
2. क्या मुझे सभी विषयों के PYQ का विश्लेषण करना चाहिए या कुछ विशिष्ट विषयों पर ध्यान देना चाहिए?
सभी महत्वपूर्ण विषयों के PYQ का विश्लेषण करना जरूरी है ताकि आप परीक्षा के पैटर्न को समझ सकें। हालांकि, विशिष्ट विषयों पर अधिक ध्यान दें जिनसे अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे आपको उन क्षेत्रों पर गहरी समझ प्राप्त होगी जो परीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस तरह, आप अपनी तैयारी को अधिक लक्षित और प्रभावी बना सकते हैं।
3. PYQ विश्लेषण के लिए कौनसे संसाधन सबसे अच्छे हैं, क्या कोई विशिष्ट किताब या ऑनलाइन संसाधन ह?
PYQ विश्लेषण के लिए UPSC की आधिकारिक वेबसाइट, मॉक टेस्ट बुक्स (जैसे मैनप्रीपर्स), और परीक्षा तैयारी वेबसाइट्स (Vision IAS, Insights IAS) सबसे अच्छे हैं। YouTube चैनल्स (Study IQ, Unacademy) भी उपयोगी वीडियो विश्लेषण प्रदान करते हैं।
4. मैं PYQ विश्लेषण को कैसे अपनी दैनिक तैयारी में शामिल करूँ, क्या कोई विशिष्ट समय-सारणी होनी चाहिए?
- समय निर्धारण: दिन में 1-2 घंटे PYQ विश्लेषण के लिए निर्धारित करें।
- विषयवार अध्ययन: हर सप्ताह एक या दो विषय पर ध्यान केंद्रित करें।
- रिवीजन: हफ्ते के अंत में किए गए विश्लेषण की समीक्षा करें।
5. क्या PYQ विश्लेषण से मुझे परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का पता चल सकता है, या यह सिर्फ एक अनुमान ह?
PYQ विश्लेषण से आपको परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का सटीक पता नहीं चल सकता, लेकिन यह आपको परीक्षा के पैटर्न, महत्वपूर्ण टॉपिक्स, और प्रश्नों के प्रकार का अच्छा अनुमान देता है। इससे आप महत्वपूर्ण विषयों पर फोकस कर सकते हैं और अपनी तैयारी को प्रभावी बना सकते हैं।
